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कामिनी भाग 26

"अगर मेरी योजना असफल हुई तो और जितने भी लोग मारे जाएंगे,,  वह खुद,,,,अपनी मौत की जिम्मेदार होंगे,,,क्योंकि नागिन को गले लगाना,,,अपनी मौत को गले लगाना है और उन खून की प्यासी,,,भयानक पिशाचिनीया,,,अपनी शक्ति से बहुत सुंदर रूप धारण करके आएगी और अपने सुंदर यौवन को दिखाकर,,, तुम्हे आकर्षित करेंगी,,,,जो उनसे आकर्षित हो जाएगा,,,वह उसी क्षण,,,उनका गुलाम बन जाएगा,,,इसीलिए सबसे एक बार और कह रहा हूं,,,कोई भी उन पिशाचीनियों के बहकावे में मत आना"! चेतन चुड़ैल ने समझाते हुए गांव वालों से कहा

"सामने गुलाब जामुन पड़े हो और कोई न खाए,,,चंचल मनुष्य की कामुक इंद्रियाँ,,,सुंदर स्त्रियों को देखकर सब कुछ भूल जाती है और अपने विवेक को खो देती है,,,,तुमने एक जानलेवा योजना बनाई है,,,जिसमें बहुत खतरा है"! गुरुदेव ने खतरा भांपते हुए कहा

"कोई खतरा नहीं है और एक बात बताऊं,,,गुरुदेव,,,आप बहुत बड़े फट्टू हो,,,खुद तो डरे हुए हो,,,साथ में इन बहादुर गांव वालों को भी डरा रहे हो,,,इन गांव वालों  ने इनके अपनों को खोया है,,,इसलिए इनके दिल में बदले की भावना,,,अंगारों की तरह भभक रही है,,,आज यह सभी गांव वाले उन पिशाचीनियों का सर्वनाश कर देंगे,, आप इन्हें कमजोर मत समझो"!चेतन चुड़ैल ने गाँव वालो को उत्साहित करते हुए कहा

"हां,,,हम उन पिशाचीनियों का सर्वनाश कर देंगे,,,,हां,,,,हम उन सभी पिशाचीनियों का सर्वनाश कर देंगे"!सभी गांव वालों ने एक साथ जोश में कहा

तब चेतन चुड़ैल ने धीरे से गुरुदेव के कान में कहा

"देखा सभी गांव वाले मेरे साथ हैं,,,अगर तुमने,,,मेरा साथ नहीं दिया और मेरी योजना पर सवाल उठाए तो सभी बहादुर गाँव वाले तुम्हारी बैंड बजा देंगे"!

"तुम मेरी ही नहीं,,,हम सब की बैंड बजा कर मानोगे"! गुरुदेव ने हंसते हुए कहा

"जब गांव वाले भी राजी,,,गुरुदेव भी राजी तो क्या करेगा पंडित और क्या करेगा काजी तो ढोल बजाओ बाराती"! चेतन ने घोड़ी पर बैठे हुए कहा

"सभी ढोल,,,ताशा,,थालिया,,,बाजे बजाने लगे और चेतन चुड़ैल की बरात का जुलूस आगे बढ़ने लगा,,,तभी घोड़ी पर बैठे चेतन चुड़ैल ने एक कमरे से पारुल को गांव की लड़कियों के साथ निकलते हुए देखा,,,पारुल ने लाल रंग का लहंगा पहन रखा है,,,उसके मस्तक पर एक बहुत शानदार नक्काशी का टीका लगा है,,,नाक में नथनी और कानों में बड़ी बालियां पहन रखी है और उसके गले में एक बड़ा सा हार बहुत सुंदर लग रहा है दोनों हाथों में बाजूबंद और कलाई में रंग बिरंगी चूड़ियां और उसके पेट की नाभि पर सोने का चमकता करदोना बहुत विशेष लग रहा है,,,पारुल बहुत ही अट्रैक्टिव लग रही है,,,तब चेतन ने उसके मन में सोचा

"ऐसे मस्त माल को छोड़कर,,,में,,,चुड़ैलों से शादी करने जा रहा हूं"!

तभी पारुल ने चेतन चुड़ैल की ओर देखा,, चेतन ने पारुल को आंख मारी और इशारे से उसकी खूबसूरती की तारीफ की,,,पारुल शर्मायी और उसने नजर झुकायी,,,तभी चेतन की बारात कामिनी नदी के पुल पर पहुंची,,,आज पूरा पुल बारातियों से भर गया है,,, कामपुर में एसा दिन हजारों वर्षों बाद आया है,,,सभी बाराती कतार में चल रहे हैं,,,नवयुवक,,,युवतियां नृत्य कर रही है और चेतन की बारात आगे बढ़ रही है,,,चेतन के पीछे एक बैलगाड़ी है,,,जिसके दोनों बैलों को भी बहुत अच्छे ढंग से सजाया गया है,,,यह बैलगाड़ी फूलों से भरी है और दो युवक उस बैलगाड़ी पर सवार होकर,,चेतन और बारातियों पर फूलों की बारिश कर रहे हैं तभी चेतन ओर बारातियों पर फुलो की बारिश कर रहे हैं,,,, तभी चेतन की बारात पुल पार पर करती है,,,आज पूरा जंगल फूलों की बैलों से सजा है और महक उठा है,,,,पिशाचीनियों ने पूरे मार्ग पर रंग-बिरंगे फूल बिछा रखे हैं और और पिशाचिनीया दोनों मार्गो में लाइन से खड़ी है,,,उनके हाथों में फूलों की टोकरी हैं और वह सभी अपने खुबसूरत चेहरो पर मुस्कान लिए बारातियों का फूलों से स्वागत कर रही है,,,स्वागत की इतनी शानदार व्यवस्था देखकर,,,चेतन और सभी बाराती आश्चर्य में पड़ जाते हैं,,,,तभी चेतन की बारात उस स्थान पर पहुंचती है जहां एक भव्य मंडप सजा है,,,मंडप की सुंदरता और शोभा लौकिक नहीं,,,पारलौकिक है,,,क्योंकि ऐसी सजावट तो स्वर्ग में ही होगी,,,,

तभी चेतन की बरात रुकी और संगीत का शोर समाप्त हुआ,,,चेतन और सभी बाराती उस दिव्या सजावट को आश्चर्य से देखने लगे,,,सब कुछ सुन हो गया,,,जैसे प्रकृति मोन हो गई हो,,,ऐसी गहन शांति का अनुभव पहले कभी किसी ने नहीं किया होगा,,,तभी सभी के कानों में छम छम की आवाज सुनाई दी,,,

चेतन ने देखा,,,कामिनी और शांति रात्रि अपनी सखियों के पीछे से हाथों में वरमाला लेकर आ रही है,,,कामीनी ने काला लहंगा पहन रखा है और रात्रि ने पीला रंग लहंगा पहन रखा है,  कामीनी और रात्रि स्वर्ग की अप्सराओं की भांति लग रही है,,,चेतन उन दोनों को देखता रह गया और उनकी सुंदरता में ऐसा खोया कि सब कुछ भूल गया,,,,चेतन की दशा देखकर,,,गुरुदेव ने चेतन से कहा

"चेतन नीचे उतरो,,,दुल्हन तुम्हारे स्वागत के लिए आ रही है,,,तुम पर हम सबकी जिम्मेदारी है,,, तुम्है इस समय किसी मोह में नहीं पड़ना चाहिए"!

तब चेतन का ध्यान भंग हुआ और वह नीचे उतरा,,,कामीनी ने चेतन को वरमाला डालकर कह

"कामपुर में तुम्हारा स्वागत है,,,बारातियों के लिए 101 प्रकार के व्यंजन बनाए गए हैं,,,इसलिए सभी बारातियों को भोजन शाला में भोजन कराने के लिए,,,मेरी सुंदर सखिया लालायित है,, इन सभी बारातियों को भोजनशाला भेज दो"!

तभी रात्रि ने चेतन के गले में वरमाला पहनाकर कहा

"तुम जैसे पुरुष का पानी ग्रहण करना,,,सौभाग्य की बात है,,,इसलिए और विलंब ना करो और अभी विवाह मंडप में चलो,,,मेरे प्रियवर"!

"ठीक है,,,चलते हैं"! चेतन ने उत्साह से कहा

तभी गुरुदेव ने चेतन को टोकते हुए कहा

"शुभ मुहूर्त में अभी 1 घंटे का विलंब है,,,तब तक विवाह की दूसरी प्रक्रियाओं को पूरा करते हैं"!

गुरुदेव की आवाज सुनकर रात्रि और कामीनी ने गुरुदेव को ऐसे देखा,,,,जैसे कोई नागिन अपने सबसे बड़े शत्रु नेवले को देखती हैं

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7 Comments

hema mohril

28-Feb-2024 04:15 PM

V nice

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Gunjan Kamal

28-Feb-2024 12:48 PM

👏👌

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kashish

27-Feb-2024 02:23 PM

Awesome

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